सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

योग के नियम कितने होते हैं?


योग में आठ मुख्य नियम होते हैं, जिन्हें अष्टांग योग (Ashtanga Yoga) कहा जाता है। ये नियम हैं:


यम (Yama) - सच, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।



नियम (Niyama) - शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान।


आसन (Asana) - शरीर के भेद और धारणाशक्ति को बढ़ाने के लिए योगिक अभ्यास।


प्राणायाम (Pranayama) - श्वास के नियंत्रण से प्राण के अभाव को हटाने और श्वसन के माध्यम से प्राण को बढ़ाने का अभ्यास।


प्रत्याहार (Pratyahara) - इंद्रियों के अपने विषयों से विचलित होकर अपने मन को वश में करने का अभ्यास।


धारणा (Dharana) - ध्यान का अभ्यास, मन को एक ध्येय पर संरेखित करना।


ध्यान (Dhyana) - एक ध्येय के अनुभव के लिए धारणा को लंबित रखते हुए मन की एकाग्रता का अभ्यास।


समाधि (Samadhi) - अध्यात्मिक अनुभव का स्थिति, मन एकाग्र हो जाता है और व्यक्ति का अहंकार समाप्त हो जाता है।


ये नियम शारीरिक अभ्यास के साथ-साथ मानसिक अभ्यास को



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ओम का अर्थ, महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और फायदे - Om Meaning and Significance, How to do Om Chanting and its Benefits in Hindi

गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भुव: स्व: माण्डूक उपनिषद् - ॐ यह अमर शब्द ही पूरी दुनिया है बौध्य मंत्र - ॐ मणि पद्मे हूं गुरु ग्रंथ साहिब - एक ओंकार सतनाम योग सूत्र - तस्य वाचकः प्रणवः इन सभी मंत्र या श्लोक में क्या समानता है? समानता है ॐ।  ॐ यानी ओम, जिसे "ओंकार" या "प्रणव" भी कहा जाता है। देखें तो सिर्फ़ ढाई अक्षर हैं, समझें तो पूरे भ्रमांड का सार है। ओम धार्मिक नहीं है, लेकिन यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म जैसे कुछ धर्मों में एक पारंपरिक प्रतीक और पवित्र ध्वनि के रूप में प्रकट होता है। ओम किसी एक की संपत्ति नहीं है, ओम सबका है, यह सार्वभौमिक है, और इसमें पूरा ब्रह्मांड है। ओम को "प्रथम ध्वनि" माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भ्रमंड में भौतिक निर्माण के अस्तित्व में आने से पहले जो प्राकृतिक ध्वनि थी, वह थी ओम की गूँज। इस लिए ओम को ब्रह्मांड की आवाज कहा जाता है। इसका क्या मतलब है? किसी तरह प्राचीन योगियों को पता था जो आज वैज्ञानिक हमें बता रहें हैं: ब्रह्मांड स्थायी नहीं है। कुछ भी हमेशा ठोस या स्थिर नहीं होता है। सब कुछ जो...